परम्परागत चिकित्सा पद्धति के विकास में मील का पत्थर बनेगा आयुष विवि :रामनाथ कोविंद
– राष्ट्रपति ने गोरखपुर के पीपरी में किया प्रदेश के पहले आयुष विवि का शिलान्यास
-कहा, कोरोना को नियंत्रित करने में आयुष की भूमिका अहम
गोरखपुर(हि.स.)। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर के पिपरी में उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विवि का वैदिक मंत्रोच्चार व विधि-विधान से भूमि पूजन कर शिलान्यास किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने के लिए भारत में तमाम प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां हैं। आयुष विद्यालयों से इन चिकित्सा पद्धतियों की सुव्यस्थित शिक्षा दी जाती है। केंद्र और प्रदेश सरकार ने अलग आयुष मंत्रालय का गठन किया है। इससे सत्र और स्तर दोनों बढ़ेंगे। शोध संस्थान की भी स्थापना होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण भारत में आज तमाम लोग आयुष चिकित्सा पद्धति को अपना रहे हैं। ऐसे ही प्रदेश में आयुष चिकित्सा पद्धति को आगे ले जाने का महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय बड़ा माध्यम बनेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि योग हमारी जीवन शैली का अंग है। कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी व सिद्ध के अलग-अलग महाविद्यालयों के सत्र, पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम के नियमन तथा इन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ आमजन तक और सुलभ कराने का काम करेगा।
इसके पूर्व शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान अचानक जोरदार बारिश शुरू हो गई तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में ही इसका स्वागत कुछ अलग ढंग से किया। उन्होंने कहा कि भगवान इन्द्रदेव भी अपना आशीर्वाद देने हम सबके बीच में आ गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों में एक मान्यता है कि कोई शुभ कार्य यदि सम्पन्न हो रहा हो और उस दौरान यदि आकाश से पानी की बूंदें गिरने लगें तो उसे कहा जाता है कि यह शुभ से अद्यतन शुभम हो गया है। यह सहयोग है। जब हम लोग सुबह लखनऊ से चले तो मौसम की भविष्यवाणी के अनुसार हमें लग रहा था कि गोरखपुर में बारिश होने वाली है,लेकिन कभी-कभी मन में संदेह यह होता था कि बारिश यदि शाम को हुई तो हमारा शिलान्यास का कार्यक्रम तो सम्पन्न हो जाएगा, लेकिन हमें लगता है कि इस आयुष विवि के प्रति आपका जो समर्पण है, उसने इन्द्रदेव को बाध्य कर दिया कि इस कार्यक्रम के सम्पन्न होने के दौरान ही आपको आशीर्वाद देने आ जाएं।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नित्य योग साधना करना जरूरी
उन्होंने कहा कि महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने पूरी दुनिया में योग की महिमा को स्थापित किया था। उन्होंने योग साधना से जुड़े गुरु गोरक्षनाथ के तमाम श्लोकों का जिक्र करते हुए कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नित्य योग साधना करना ही पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपना रही है। इन पद्धतियों को अपनाकर असाध्य रोगों का आसानी से उपचार हो जाता है और जीवन सुखमय हो जाता है।
विश्वविद्यालय का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखना सार्थक
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इस विश्वविद्यालय का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखना सार्थक है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी गोरख की प्रतिष्ठा की है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में आरोग्य वन को स्थापित किया जा रहा है।
महात्मा गांधी ने प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा दिया और स्वीकार्यता दी
राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सविता कोविन्द भी गोरखपुर पहुंची हैं। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
आयुष विश्विद्यालय से शोध को बढ़ावा मिलेगा : आनंदी बेन
शिलान्यास कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि गोरखपुर अंचल का विशेष महत्व है। यह क्षेत्र कबीर, बुद्ध, गोरखनाथ, बाबा राघवदास और प्रेमचंद से जुड़ा है। चौरी चौरा यहां के इतिहास को बताता है। उन्होंने कहा कि आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना से सत्र में एकरूपता आएगी। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। आयुष विश्विद्यालय से शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि होमियोपैथी, यूनानी और आर्युवेद एक छत के नीचे लाया जाएगा।
आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी ने कहा कि राष्ट्रपति आयुष विभाग को आशीर्वाद देने आए हैं। मुख्यमंत्री की रुचि आयुष में रही है। कोरोना काल में आयुष को नई पहचान मिली है। आयुष मेला लगे हैं। आयुष विश्विद्यालय से अब सम्बद्ध महाविद्यालय के सत्र नियमित होंगे। 56 एकड़ भूमि में बनने वाले विश्विद्यालय पर 300 करोड़ ख़र्च होंगे। 36 महीने में विश्वविद्यालय बनकर तैयार होगा।
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर के एक दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करीब 4 घंटे 35 मिनट तक जिले में रहेंगे। आयुष विवि के शिलान्यास के बाद वह महायोगी गुरु गोरक्षनाथ विवि के लोकार्पण के लिए पहुंचे हैं। यहां उनका कार्यक्रम तकरीबन तीन घंटे का है।