निजीकरण के विरोध में उतरा रेलवे कर्मचारी संघ
कानपुर। देश की गिरती जीडीपी को पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार निजीकरण का सहारा लेने जा रही है। इसमें रेलवे का भी निजीकरण होना बताया जा रहा है। इसको लेकर अब रेलवे कर्मचारी विरोध पर उतर आये हैं और उनका कहना है कि रेलवे घाटे में नहीं है तो आखिर क्यों निजीकरण किया जा रहा है। कर्मचारियों ने कहा कि अगर सरकार अपने फैसले पर विचार नहीं करती तो मजदूर संघ के बैनर तले भीषण हड़ताल करने को मजबूर हो जाएगा।
भारतीय रेलवे मजदूर संघ के आवाहन पर संपूर्ण भारतीय रेलवे के निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष दिवस के रुप में मंगलवार को काला पीता बांधकर रेलवे कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। भारतीय रेल का निजीकरण व निगमीकरण करने की भारत सरकार बात कर रही है क्योंकि आपको बता दें कि अगर रेलवे की बात करी जाए तो भारतीय रेल भारत की लाइफ लाइन कही जाती है जिसको लेकर तमाम तरह की दिक्कतें सामने आती रहती थी जिससे भारत सरकार ने निगमीकरण वाणिज्य करण करने का फैसला कर रही है जिसको देखते हुए आज उत्तर प्रदेश मध्य रेलवे कर्मचारी संघ ने प्लेटफार्म नंबर 1 पर निजीकरण के विरोध में काला पीता और बैठ बांधकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही कर्मचारियों ने केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई नौकरी में 30 साल उम्र या 55 साल उम्र का भी मुद्दा उठाया। साथ ही कहा कि सरकार अगर निजीकरण पर रोक नहीं लगाती है तो भविष्य में समस्त रेल कर्मचारियों के हक की लड़ाई भारतीय रेलवे मजदूर संघ लड़ेगा, जिसमें 1947 जैसी हड़ताल भी हो सकती है। इसलिए सरकार को रेलवे की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए और कर्मचारियों के हित में निजी करण को टाल देना चाहिए। बीएस मीणा ने कहा कि रेलवे कभी भी घाटे में नहीं रहा तो आखिर केन्द्र सरकार क्यों रेलवे को निजीकरण करने पर आमादा है।