नाम बदलकर सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहा था ISIS आतंकी

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। नई दिल्ली के धौलाकुआं इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार इस्लामिक स्टेट्स ऑफ सीरिया एंड इराक (आइएसआइएस) आतंकी मुस्तकीम सुरक्षा एजेंसियों को अबू यूसुफ बनकर चकमा दे रहा था। पुलिस को उसके गांव में छानबीन के दौरान पता चला कि उसका असली नाम मुस्तकीम है और वह बढय़ा भैंसाही गांव निवासी कफील खान का बेटा है।
बलरामपुर के अपर पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार मिश्र ने बताया कि आतंकी अबू यूसुफ व मुस्तकीम दोनों नाम एक ही व्यक्ति के हैं। यूपी एटीएस व दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर उसके संपर्क में आए लोगों की स्थानीय पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी है। रविवार को दूसरे दिन भी गांव में सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस अधिकारियों का जमावड़ा रहा। इस दौरान मुस्तकीम की पत्नी, पिता, भाई व बच्चों से भी पूछताछ की गई। गांव आज दूसरे दिन भी पूरी तरह सील रहा। बताया जाता है कि मुस्तकीम पिछले दो साल से मनिहार का वेश बनाकर घर में बारूद एकत्रित कर रहा था। मुस्तकीम की निशानदेही पर पुलिस ने उतरौला नगर से जिन तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था, उन्हें आज छोड़ दिया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से गांव में भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है किन्तु गांव में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा है। मुस्तकीम के ज्यादा सम्पर्क में रहने वाले गांव के कुछ घरों में भी तलाशी ली गई है। यहां से पुलिस ने कुछ दस्तावेज व कुछ लोगों के मोबाइल कब्जे में ले लिये हैं।
इस बीच अबू यूसुफ की पत्नी आयशा ने बताया कि उसका पति पिछले दो वर्षों से संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त रहा है। घर में विस्फोटक रखता था, किन्तु किसी को भी बताने से मना करता था। आयशा का कहना है कि वे मेरे ऊपर सख्ती कर रहे थे कि किसी को यह बात मत बताना। मुझे बहुत अफसोस है। मेरे चार बच्चे हैं। मैं इन्हें लेकर कहां जाऊंगी। इस बार उनकी गलती को माफ कर दिया जाये। वह लगभग दो वर्ष से थोड़ा-थोड़ा करके बारूद लाते थे और खाली बक्से में रखते थे। मैं नहीं जानती कि इसकी ट्रेनिंग उन्होंने मोबाइल से ली या किसी और माध्यम से। मुझे यह भी नहीं पता कि वे यह सब किसके लिए कर रहे थे। हमने भय वश यह बातें किसी को नहीं बताई। उसने कहा कि हमारे पास भी जो पैसा होता था, उसे लेकर भी वह खर्च कर देते थे। जब हम कहते थे कि फालतू पैसा खर्च करते हो, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी, तो कहते थे कि सब अल्लाह मालिक है। इस तरह से हमारी बातों को टाल देते थे। उनको बाबरी मस्जिद से कोई लगाव नहीं था। पत्नी ने कहा कि वे यूट्यूब पर वीडियो देखते थे और तकरीरें सुनते थे। उन्होंने अपनी ग़लती कबूल कर ली है। इसलिए एक बार माफ़ कर दिया जाए। शुक्रवार को घर से लखनऊ जाते समय वह घर से प्रेशर कुकर अपने साथ ले गए थे। पत्नी के मुताबिक, अबू यूसुफ 2005 में छह महीने के लिए टूरिस्ट वीज़ा पर दुबई गया था। वहां से लौटकर कुछ समय वह हैदराबाद में रहा। 2006 से 2011 से सऊदी अरब में रहा। 2011 में वापस आने आने पर उसका निकाह आयशा के साथ हुआ। 2015 में एक बार फिर 15 दिन के लिए खाड़ी देश कतर गया। इसके बाद वहां से लौटकर उत्तराखंड आ गया, जहां एक दुर्घटना में उसकी रीढ़ की हड्डी में भयंकर चोट लगी। इसके बाद वह उतरौला लौट आया और एक स्थानीय कस्बे में कास्मेटिक की दुकान खोली, लेकिन दुकान पर वह बहुत कम बैठता था।
उधर पिता कफील अहमद ने कहा कि उसकी इस करतूत से बाप-दादाओं की कमाई इज्जत मिट्टी में मिल गई। उन्होंने कहा कि बेटे की इस करतूत पर अफसोस है। उन्होंने बताया कि बेटा और उसका परिवार घर में साथ ही रहते थे, लेकिन खाना अलग बनता था। उन्होंने कहा कि बेटा गांव में किसी से मतलब नहीं रखता था। उन्होंने बेटे की हरकतों की निंदा करने के साथ ही उसको एक बार माफी देने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि मुझे अपने बेटे की गतिविधियों पर बेहद अफसोस है। मेरी जानकारी में नहीं था कि वह इस तरह की हरकतों में शामिल है। मैं चाहता हूं कि यदि संभव हो तो उसे एक बार के लिए माफ कर दिया जाए, लेकिन उसका कृत्य गलत है। अगर मुझे उनकी गतिविधियों के बारे में जरा सा भी पता होता तो मैं उन्हें छोडऩे के लिए जरूर कहता। दिल्ली पुलिस की टीम कल रात अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम को लेकर बढय़ा भैसाही गांव आई है। इसके बाद उतरौला कस्बे में स्थित गोण्डा रोड पर उसके घर पर छापेमारी की।

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