तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने देश छोड़ा
पाकिस्तान के प्यादे रहे मुल्ला बरादर संभाल सकते हैं कमान
इंटरनेशनल डेस्क
काबुल। अफगानिस्तान अब पूरी तरह तालिबान के शिकंजे में आ गया है। रविवार को तालिबानियों के काबुल में दाखिल होते ही अफगान सरकार उनसे समझौता करने को तैयार हो गई। सत्ता का ट्रांसफर किया जा रहा है। तालिबान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुल्ला बरादर अखंद अंतरिम सरकार के प्रमुख हो सकते हैं। वहीं, राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है। गनी से जुडे़ सूत्रों ने बताया है कि वे अमेरिका जा रहे हैं। वहीं कुछ तालिबानी सूत्रों के मुताबिक, काबुल की पुलिस आत्मसमर्पण करने लगी है। वह अपने हथियार तालिबान को सौंप रही है।
मुल्ला बरादर अभी कतर में हैं। अभी वो तालिबान के कतर में दोहा स्थित दफ्तर के राजनीतिक प्रमुख हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए कई लोगों के नामों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन उनका नाम शीर्ष पर है। वे अफगानिस्तान में तालिबान के को-फाउंडर हैं। इससे पहले अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया था कि तालिबान काबुल पर हमला नहीं करने के लिए राजी हो गया है। वह शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहता है और ये इसी तरह होगा। नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहें। तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा था कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है। तालिबान ने काबुल के चार बाहरी जिलों पर कब्जा किया है। ये हैं-सारोबी, बगराम, पगमान और काराबाग। हालांकि तालिबान ने अपने लड़ाकों से काबुल के बाहरी गेट पर रुकने के लिए कहा था। काबुल के नागरिक बता रहे हैं कि लोग काबुल में अपने घरों पर तालिबान के सफेद झंडे लगा रहे हैं। तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया है और करीब 5 हजार कैदियों को छुड़ा लिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबान के लड़ाके बंद थे।
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तालिबान ने बताया था कि काबुल में जंग नहीं हो रही है, बल्कि शांति से सत्ता हासिल करने के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही कहा है कि काबुल एक बड़ी राजधानी और शहरी इलाका है। तालिबान यहां शांतिपूर्ण तरीके से दाखिल होना चाहता है। वह काबुल के सभी लोगों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी ले रहा है। उसका इरादा किसी से बदला लेने का नहीं है और उन्होंने सभी को माफ कर दिया है। वहीं अफगानिस्तान के सरकारी मीडिया का कहना है कि काबुल के कई इलाकों में गोलीबारी की आवाजें सुनी गई हैं। तालिबान ने बामियान के गवर्नर कार्यालय पर भी बिना जंग के कब्जा कर लिया। यह इलाका हजारा शिया समुदाय का गढ़ है। तालिबान ने 20 साल पहले बामियान में बुद्ध की प्रतिमाओं को धमाके से उड़ा दिया था। तालिबान ने बामियान के गवर्नर कार्यालय पर भी बिना जंग के कब्जा कर लिया। यह इलाका हजारा शिया समुदाय का गढ़ है। तालिबान ने 20 साल पहले बामियान में बुद्ध की प्रतिमाओं को धमाके से उड़ा दिया था। इससे पहले रविवार तड़के तालिबान ने नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर भी अपनी हुकूमत कायम कर ली थी। न्यूज एजेंसी फ्रांस प्रेस के मुताबिक जलालाबाद के लोगों ने बताया कि रविवार सुबह जब वे जागे तो देखा कि पूरे शहर में तालिबान के झंडे लहरा रहे थे और यहां कब्जा करने के लिए उन्हें जंग भी नहीं लड़नी पड़ी।
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