तबलीगी जमात मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का आजकल सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा

संजय कुमार
नई दिल्ली (हि.स.) । सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के मामले की रिपोर्टिंग को झूठा और सांप्रदायिक बताने वाली याचिकाओं पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के निचले स्तर के अधिकारी की तरफ से हलफनामा दाखिल होने पर नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा कि सीनियर अधिकारी हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का आजकल सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। मामले पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा कि हलफनामा जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश लग रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव हलफनामा दाखिल करेंगे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार बताए कि उस दौरान किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
केंद्र सरकार ने पिछली 7 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था कि ये मीडिया पर रोक यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। तबलीगी जमात की रिपोर्टिंग पर रोक से समाज में घटित घटनाओं के बारे में आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार का उल्लंघन होगा। सुनवाई के दौरान नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन ने कहा था कि उसने तबलीगी जमात पर मीडिया रिपोर्टिंग की शिकायतों को लेकर नोटिस जारी किया है। तब याचिकाकर्ता की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम आदेश पारित करेंगे। तब दवे ने कहा था कि सरकार ने अब तक इस पर कुछ भी नहीं किया है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि जहां तक हमारा अनुभव है कि वे तब तक कुछ नहीं करेंगे जब तक हम निर्देश नहीं देंगे।
याचिका जमीयत उलेमा ए हिंद ने दायर किया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। याचिका में ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ की परिभाषा तय करने की मांग की गई है। पिछले 27 मई को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से कहा था कि लोगों को कानून और व्यवस्था के मुद्दों को भड़काने न दें। ये ऐसी चीजें हैं जो बाद में कानून और व्यवस्था का मुद्दा बन जाती हैं। 13 अप्रैल को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था कि इसे देखना प्रेस काउंसिल का काम है। आप प्रेस काउंसिल को पक्षकार बनाइये। फिर सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा था कि खबरों के लिए हमें कुछ दीर्घकालीक और ठोस कदम उठाने होंगे।
सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील ने कोर्ट से कहा था कि मीडिया रिपोर्टिंग और सरकार की रिपोर्ट में लगातार कहा जा रहा है कि तबलीगी ने कोरोना वायरस फैलाया। जमीयत की ओर से कहा गया था कि कर्नाटक में हिंसा की घटनाएं हुईं, क्योंकि कुछ लोगों के नाम सार्वजनिक किए गए। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगर मामला मारने और मानहानि का है तो आपको दूसरी जगह जाना होगा लेकिन अगर मामला बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग को लेकर है तो इसके लिए प्रेस काउंसिल को भी पक्षकार बनाइए। 

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