डॉ. निर्मल बोले, दलित महिलाओं से बलात्कार पर अपने दिन याद करें मायावती
लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष और डॉ. आंबेडकर महासभा के चेयरमैन डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने मायावती पर पलटवार किया है। उन्होंने गुरुवार को बसपा सुप्रीमो से कहा कि दलित महिलाओं से बलात्कार पर उन दिनों को याद करें, जब प्रदेश में उनका शासन था। डॉ. निर्मल ने कहा कि मायावती दलित महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन रही हैं। अपने शासन काल में उन्होंने अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम को संशोधित करते हुए ये आदेश भी जारी किए थे कि दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होने पर सीधे एफआईआर दर्ज न की जाए। वरन इसकी सीएमओ से जांच करवाई जाए।
अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष ने मायावती से सवाल किया है कि उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने यह आदेश क्यों जारी किया था ? क्या मायावती को महिलाओं के बलात्कार के आरोप पर विश्वास नहीं हैं ?
डॉ. निर्मल ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जहां दलितों की झोपड़ियों को जलाने वाले, उनका उत्पीड़न करने वाले लोगों के विरुद्ध जौनपुर, आजमगढ़, लखीमपुर में रासुका लगाई गई है। हाथरस, बुलंदशहर और बलरामपुर में रेप के आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करवाया। एसआईटी जांच और फास्ट ट्रैक के आदेश दिए गए। मायावती को ये भी जवाब देना चाहिए कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कितने दलित उत्पीड़कों के विरुद्ध रासुका लगाया।
उन्होंने मायावती से यह भी सवाल किया कि वह बताएं कि दलितों के घुर विरोधी बाहुबली मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे कुख्यात माफियाओं को राजनैतिक शरण क्यों दी ? आज जब उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहा है, तो मायावती को परेशानी हो रही है।
डॉ. निर्मल ने कहा कि आज जब प्रदेश में दलितों का आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है। उन्हें आवास सहित सरकारी मूलभूत सुविधाएं दी जा रही हैं, तो मायावती बेचैन हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मायावती ने अपने कार्यकाल में दलितों को दरिद्र बनाने का काम किया। उनके पास दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कोई योजना नहीं थी, वरन उनके पास खुद को दौलत का पहाड़ खड़ा करने की चाहत थी, जो उन्होंने अपने कार्यकाल में पूरा कर लिया था।
गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाथरस और बलरामपुर में हुई दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर प्रदेश की योगी सरकार पर आज जमकर निशाना साधा था। उन्होंने केंद्र सरकार से उप्र में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करने की भी बात की थी।