डीएम-सीएमओ विवाद : जबाबदेही की जगह पीएमएस और पीसीएस संवर्ग आमने-सामने
रायबरेली। जिलाधिकारी द्वारा सीएमओ को डांटने के मामले में अब जबाबदेही की जगह आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है। कोरोना काल में लागातर जबाब देने से बचते रहे सीएमओ अब स्वाभिमान की जंग लड़ रहे हैं और इस काम में उनके विभाग के डॉक्टर व अन्य कर्मी भी उनका पूरा साथ दे रहे हैं। हालांकि इसका जबाब देने के लिए पीसीएस एसोसिएशन भी आगे आया है और अब पीएमएस व पीसीएस संवर्ग आमने सामने है।
20 दिन पहले जिले का चार्ज संभालने वाले डीएम वैभव श्रीवास्तव की सक्रियता और जबाबदेही तय करने की कार्यशैली भी इस विवाद का एक प्रमुख कारण है। जिसे स्वास्थ्य विभाग के कर्मी कथित स्वाभिमान का मुद्दा बना रहे हैं। जबकि यह बताने से कट रहे हैं कि उनके विभाग के प्रमुख की शासन के प्रति कोई जबाबदेही है भी या नहीं। स्वास्थ्य विभाग में जहां पहले आईएमए की बैठक हुई जिसमें सीएमओ का साथ देते हुए नया अध्यक्ष भी चुन लिया गया। अब डॉ एलपी सोनकर के नेतृत्व में आईएमए स्वाभिमान की जंग की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मियों की बैठकें भी सीएमओ डॉ संजय शर्मा के नेतृत्व में हो रही हैं जिनमें इस लड़ाई को तेज करने की चेतावनी दी जा रही है। कोरोना काल में उनकी यह लड़ाई लोगों के लिए परेशानी भी पैदा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि रायबरेली में कोविड सेंटरों पर अव्यस्था की कई शिकायतें मिलती रहती हैं।खाने और स्टाफ़ की सुविधाओं को लेकर कई मामले सामने आ चुके हैं। इन्हीं सब मामलों को लेकर पूर्व डीएम की सीएमओ के प्रति नाराज़गी भी जाहिर हुई थी। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग अपने तरह से काम करता रहा।
सीएमओ द्वारा पत्रकारों का फोन न उठाने की बातें तो आम है।मीडिया को कोरोना समाचारों के संकलन के लिए हेल्थ बुलेटिन भी तभी मिल पाए जब नोडल अधिकारी ने संज्ञान लेते हुए निर्देश दिए। इस सबकी जबाबदेही से बेपरवाह सीएमओ अपने विभाग के साथ डीएम द्वारा अभद्रता का मामला उठा रहे हैं, दूसरी ओर पीसीएस अधिकारियों ने एक बैठक कर कहा कि पूरे विवाद का पटाक्षेप हो चुका है,बावजूद इसके मामले को तूल दिया जा रहा है।
अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा ही जारी रहा तो इसका कड़ा प्रतिवाद किया जाएगा।अब कोरोना के इस दौर में पीएमएस व पीसीएस अधिकारी आमने सामने हैं।दरअसल शनिवार को कोरोना को।लेकर जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव द्वारा अभद्रता का सीएमओ द्वारा आरोप लगाया गया था जिसकी शिकायत उन्होंने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य से भी की थी।मामले में जहां पीसीएस एसोसिएशन का कहना है कि इस प्रकरण का पटाक्षेप हो चुका है वहीं पीएमएस के लिए यह अभी भी स्वाभिमान का मुद्दा बना हुआ है।