घर-घर जाकर स्तनपान का महत्व समझा रहीं जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत सामान है। यह न केवल उसके शारीरिक विकास बल्कि मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। स्तनपान से बच्चे के साथ-साथ मां को भी कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। यह सन्देश विश्व स्तनपान के सप्ताह के तहत जिले की 2830 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर माताओं को दे रही हैं। विदित हो कि प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान धात्री माताओं और शिशुओं को स्तनपान से होने वाले लाभ की जानकारी दी जाती है तथा माताओं द्वारा अपने बच्चों को अधिक समय तक स्तनपान कराने के लिए निम्न मुद्दों के माध्यम से प्रेरित किया जाता है :
स्तनपान है शिशु का पहला टीकाकरण :
गर्भावस्था के आखिरी त्रैमास में गर्भवती माता के स्तन की दुग्ध ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं और बच्चे के जन्म के समय उनमें गाढ़ा पीला दूध एकत्र होता है, जिसे कोलोस्ट्रम, पीयूष या खीस कहते हैं। कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘ए’ एवं एंटीबॉडी पाई जाती है, जो बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाती है। बच्चे के जन्म के समय बीसीजी,पोलियो जैसे कुछ टीके तो दे दिए जाते हैं किंतु डीपीटी या पेंटा का डोज डेढ़ महीने से प्रारंभ किया जाता है। इस टीके के पहले बच्चे को इन बीमारियों से मां का दूध ही सुरक्षित रखता है। जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत है जरूरी :
जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत आवश्यक है, क्योंकि इस दौरान बच्चा अत्यधिक सक्रिय रहता है और आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर लेता है। जन्म के एक घंटे के बाद बच्चा थक कर सोने लगता है और फिर स्तनपान की शुरुआत में कठिनाई उत्पन्न होती है ।
छः माह तक जरूरी है स्तनपान :
बच्चे के उचित शारीरिक विकास के लिए कम से कम 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है क्योंकि इस दौरान बाहर का दूध अथवा ऊपरी आहार, शहद, घुट्टी या टॉनिक बच्चे की आंतों में इंफेक्शन पैदा करता है, जिससे बच्चे को दस्त होने लगते हैं और बच्चा कुपोषित हो जाता है। गंभीर दस्त के कारण कभी-कभी असमय मृत्यु भी हो जाती है।
दो वर्ष तक जरूरी है मां का दूध :
बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए 6 माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए, लेकिन सातवें महीने से ऊपरी आहार की शुरुआत भी जरूरी है। कभी-कभी माता ऊपरी आहार की शुरुआत करने के बाद अपने दूध से वंचित कर देती हैं, जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है। नवीनतम शोधों के अनुसार, बच्चे को कम से कम 2 वर्ष तक मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है। अगर इस दौरान बच्चे को मां का दूध नहीं मिला तो वह न केवल शारीरिक रूप से कुपोषण का शिकार हो जाता है बल्कि उसका मानसिक विकास भी सही तरीके से नहीं हो पाता है।
मां को भी है स्तनपान के बहुत फायदे :
स्तनपान शीघ्र शुरू करने पर मां को भी फायदे होते हैं, जैसे प्लेसेंटा का शीघ्र बाहर आना, प्रसव के उपरांत बढ़ने वाले शारीरिक तापमान तथा दर्द का नियंत्रित होना तथा बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव। दो बच्चों में अंतर अर्थात बर्थ स्पेसिंग में भी स्तनपान काफी कारगर है। शोधों के अनुसार, जब तक मां बच्चे को दूध पिलाती रहती है, तब तक प्राकृतिक रूप से उसे गर्भधारण की संभावना कम होती है। इस प्रकार परिवार नियोजन का यह भी एक प्राकृतिक तरीका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जनपद में कुल 3095 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है, जिन पर 82,330 गर्भवती व धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अब तक 65,450 गर्भवती-धात्री महिलाओं तक स्तनपान से संबंधित संदेश एवं सलाह पहुंचाई गई है।