ग्रामीण बैंक कर्मियों ने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट से मांगा मृत्यु दंड
प्रादेशिक डेस्क
प्रयागराज। भारत सरकार और ग्रामीण बैंक अध्यक्षों की मनमानी के शिकार ग्रामीण कर्मचारी बेमौत मरने के मुहाने पर हैं। ऐसे में ग्रामीण कर्मचारियों ने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को खत लिखकर मृत्युदंड मांगा है। ग्रामीण बैंक कर्मचारियों का आरोप है कि ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों ने अपने स्वार्थ के लिए ग्रामीण बैंक के 90 प्रतिशत स्टाफ को ऐसे आरोपों के लिए जिनसे बैंक को न तो वित्तीय हानि हुई और न ही उनकी बैंक को कोई नुकसान पहुंचाने की नीयत रही है, इसके बावजूद सेवा से बर्खास्त कर दिया। अध्यक्षों की ओर से लाखों की धन हानि हुई, जिन्होंने फ़र्जी ऋण वितरण किया था। ऐसे स्टाफ को इन अध्यक्षों ने अपने मतलब के लिए बैंक सेवा में बनाए रखा है। ग्रामीण बैंकों में पेंशन एक अप्रैल 2018 से लागू हुई है। ग्रामीण बैंक स्टाफ जो बैंक सेवा में एक सितम्बर 1987 से 31 मार्च 2010 के दौरान सेवारत रहा हो और कम से कम 10 वर्ष की सेवा की हो। वह भी पेंशन के लिए भटक रहा है। ऐसे में ग्रामीण बैंक स्टाफ ने भारत सरकार और ग्रामीण बैंक अध्यक्षों के अत्याचारों से आहत होकर राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट से मृत्युदंड की मांग की है।