Monday, June 16, 2025
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गोरखपुर के जेलर से किया था मारपीट, बाराबंकी जेल से भागा था पन्नेलाल

गोरखपुर(एजेंसी)। उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को हुए दो मुठभेड़ में कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की मौत की चर्चाएं जोरों पर है, लेकिन बहराइच में हुई एक मुठभेड़ में मारा गया पन्नेलाल यादव की मौत शायद पर्दे के पीछे रह गया है। यह अपराधी भी कम खतरनाक नहीं था। जिसने न सिर्फ गोरखपुर जेल के जेलर के साथ मारपीट किया था बल्कि बाराबंकी जेल से भागने में भी सफल हुआ था। 
कहा तो यहां तक जा रहा है कि पन्नेलाल भी श्रीप्रकाश शुक्ल की तरह अपराध की दुनिया में अपना नाम कमाने की मंशा पाले हुए था। यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से यह पुलिस के साथ लुका-छिपी का खेल खेलता आ रहा था। 
  पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के जिलों में लूट की ताबड़तोड़ वारदातों से आतंक फैलाने वाला एक लाख रुपए का इनामी पन्‍नेलाल यादव एसटीएफ के हाथों शुक्रवार को ढेर हुआ। यह वही पन्नेलाल है, जिसकी तलाश गोरखपुर और महराजगंज पुलिस को ढाई दशक से थी। अपराध की दुनिया में वह पूर्वांचल के दुर्दांत अपराधी श्रीप्रकाश शुक्‍ला और श्रीपत दाढ़ी जैसी धमक बनाना चाहता था। उसके और पुलिस के बीच करीब दो दशक से चल रहे लुका-छिपी के खेल का शुक्रवार को एसटीएफ ने अंत कर दिया। 
वर्ष 1992 में किया था बलात्कार
गोरखपुर के गुलरिहा थाना क्षेत्र के मंगलपुर गांव के बहुडिहवा टोला निवासी पन्नेलाल यादव ने वर्ष 1992 में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। गुलरिहा पुलिस ने मामला दर्ज किया। इस घटना के बाद वह चर्चा में आ गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। फिर, पन्नेलाल पूरी तरह जरायम की दुनिया में उतर गया। 
पिता की मौत के बाद हो गया स्वच्छन्द 
पिता सोमई की मौत के बाद उसके बड़े भाई रामकेवल के ऊपर परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह साधु बन गया और पन्नेलाल पूरी तरह स्वच्छन्द बन गया। उस पर किसी का अंकुश नहीं रहा। उसने गिरोह तैयार कर ली। गोरखपुर और महराजगंज जिलों में लूट की ताबड़तोड़ घटनाओं को अंजाम दिया। दोनों जिलों की पुलिस उसकी तलाश करने लगी।
फरारी के बाद घोषित हुआ इनाम
पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार चल रहे पन्नेलाल और साथियों की परछाई भी कोई देख नहीं पा रहा था। फिर, गोरखपुर पुलिस ने उसके खिलाफ इनाम घोषित कर दिया। इसके बावजूद वह पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था।
गांव की लड़की से ही कर ली शादी 
पन्नेलाल ने पिता की मौत के बाद गांव के ही मनैतापार टोला निवासिनी युवती से शादी कर ली। ससुराल में ही रहने लगा। अब वह और स्वतंत्र हो गया। पहले तो वह छोटी-मोटी घटनाएं की, लेकिन वर्ष 1992 में उसने एक महिला के साथ बलात्कार कर दिया। महिला द्वारा उसके खिलाफ गुलरिहा थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
जेल से छूटा तो तैयार की अपराधियों की फौज
जेल से छूटने के बाद पन्नेलाल घर लौट उसने बदमाशों की फौज तैयार कर ली। संतोष पांडेय, बबलू यादव, इंद्रपाल सिंह, नागेंद्र चौधरी, श्यामसुंदर, पिंटू और तेज प्रताप जैसे अपराधियों का साथ मिला और वह बेलगाम हो गया। गोरखपुर और महराजगंज जिले में ताबड़तोड़ लूट की घटनाएं कर पुलिस को चुनौतियां देने लगा। दर्जन भर से अधिक लूट की घटनाएं की और पुलिस से आंख-मिचौली खेलता रहा। 
श्रीप्रकाश शुक्ल और श्रीपत जैसी धमक बनाने की कर रहा था कोशिश
गुलरिहा क्षेत्र निवासी पन्नेलाल यादव और उसके गिरोह के सदस्य लूट की घटनाएं कर रहे थे और उधर श्रीप्रकाश शुक्ला और श्रीपत ढाढ़ी ने जरायम पेशे में अपनी धमक बना ली थी। इन दोनों बदमाशों की उत्तर प्रदेश और बिहार में तूती बोलने लगी थी। श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके साथी उत्तर प्रदेश और बिहार के माफिया ठेकेदारों के साथ मिलकर रेलवे का ठेका मैनेज करने लगे। पन्नेलाल और उसका गिरोह भी जरायमपेशे में श्रीप्रकाश और श्रीपत जैसी धमक पैदा करना चाहता था।
अंडरग्राउंड होना ही समझा उचित 
श्रीप्रकाश शुक्ला और श्रीपत ढाढ़ी तथा इन दोनों गिरोहों के सदस्यों के पुलिस मुठभेड़ों में ढेर हो जाने के बाद पन्नेलाल यादव को भी पुलिस से डर लगने लगा था। वह अपने साथियों के साथ अंडरग्राउंड हो गया। लगातार खोजबीन के बाद नाकाम पुलिस को पन्नेलाल पर इनाम भी घोषित करना पड़ा था।
गोरखपुर-महराजगंज में दर्ज हैं मुकदमे पन्नेलाल और उसके साथियों के खिलाफ महराजगंज जिलों के थानों में लूट और छिनैती के दर्जन भर मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस ने पन्नेलाल पर इनाम भी घोषित कर दिया था लेकिन वह पकड़ में नहीं आ पा रहा था। शुक्रवार को इसकी मौत के साथ ही पुलिस के साथ चल रहे लुका-छिपी का खेल भी बन्द हो गया।


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