क्या सरकार कर सकती है आपका भी फोन टैप?
राज्य डेस्क
नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है। राज्य में पहले जहां वरिष्ठ बनाम युवा की लड़ाई चल रही थी। वहीं अब इसमें फोन टैपिंग का भी मामला जुड़ गया है। दरअसल, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए विधायकों की निष्ठा खरीदने की कोशिश की है। सबूत के तौर पर पार्टी ने दो ऑडियो क्लिप जारी की हैं, जिसमें कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा, भाजपा विधायक संजय जैन और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बात करते हुए सुनाई दे रहे हैं। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए पूछा कि क्या फोन टैपिंग के लिए संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया है? क्या राजस्थान में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी पार्टी से हो, उसका फोन टैपिंग किया जा रहा है? वैसे ये पहली बार नहीं है जब फोन टैपिंग का मुद्दा उठा हो। अतीत में कई बार फोन टैपिंग सुर्खियों में छाई रही है। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ सकता है कि क्या सरकार किसी का भी फोन टैप कर सकती है? इसे लेकर कानून क्या कहता है? देश में अब तक कौन-कौन से चर्चित मामले रहे हैं?
खुफिया ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, रॉ, सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय और दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास फोन टैपिंग करने का अधिकार है। हालांकि किसी पर भी निगरानी रखने से पहले उन्हें केंद्रीय गृह सचिव की मंजूरी लेनी होती है। यह जानकारी पिछले साल लोकसभा में दी गई थी।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं रहेगा। व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ’निजता का अधिकार’ शामिल है। यानी एक नागरिक को अन्य मामलों के अलावा अपने परिवार, शिक्षा, विवाह, मातृत्व, बच्चे पैदा करने की अपनी व्यक्तिगत गोपनीयता को सुरक्षित रखने का अधिकार है। ऐसे में कई बार सवाल उठता है कि क्या किसी की बात सुनना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। इसका जवाब है नहीं। यदि इसे जनता के हित या किसी आपातकाल की स्थिति में किया जा रहा है तो यह गलत नहीं है। बिना सरकार की इजाजत के आप देश के किसी भी नागरिक का फोन टैप नहीं कर सकते हैं।