कोविड ने अल्कोहल युक्त सेनीटाइजर की बढ़ाई महत्ता : केपी सिंह

— कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर स्थापित हों ईथनोल इकाइयां

कानपुर (हि.स.)। वैश्विक महामारी कोरोना काल में अल्कोहल युक्त सेनीटाइजर की महत्ता बढ़ गई है। ऐसे में विशेष क्षेत्रों में कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर ईथनोल की इकाइयां स्थापित होना चाहिये। यह बातें राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में मेसर्स रेडिको-खेतान लिमिटेड के निदेशक केपी सिंह ने कही।

उन्होंने देश में उपलब्ध फीडस्टोक की उपलब्धता और ईथनोल के पेट्रोल में मिश्रण, पीने योग्य अल्कोहल के साथ-साथ रसायन उद्योग के लिए अल्कोहल की आवश्यकता के लिए उत्पादन के लिए एक मॉडल (प्रारूप) प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी कहा कि अल्कोहल की आवश्यकताएं इन क्षेत्रों मे निरंतर बढ़ती जा रही है और वर्तमान में कोविड-19 महामारी के दौरान अल्कोहल आधारित सेनीटाइजर के इस्तेमाल ने अल्कोहल की मांग मे अप्रत्याशित वृद्धि की है। हमें इसके लिए ईथनोल सफिसिएंट (पर्याप्त), ईथनोल डेफिसिएंट (अपर्याप्त) और ईथनोल वेरी डेफिसिएंट (अति-अपर्याप्त) राज्यों को चिन्हित करना होगा। इस वर्गीकरण के आधार पर ही उस क्षेत्र विशेष में कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर ईथनोल इकाइयों को स्थापित करना होगा।

मेसर्स ऑआसीस डिस्टलरीज़ लिमिटेड के उपाध्यक्ष एच एस शुक्ला ने बदलते परिदृश्य में मक्के, चावल, कदन्न (बाजरा)और गेहूं आधारित ईथनोल इकाइयों से संबन्धित तकनीक के बारे मे प्रेजेंटेशन दिया। कहा कि, अनाज आधारित आसवनियों से निकला सह-उत्पाद डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन विद सोल्यूबल (डीडीजीएस), एक उत्कृष्ट पशुचारा है और इससे बेहतर मूल्य की प्राप्ति होती है, जो अनाज आधारित इकाइयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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