किसी अपराध से सम्बंधित प्रॉपर्टी को जब्त करने से पूर्व मजिस्ट्रेट की अनुमति जरूरी नहीं : हाईकोर्ट
प्रयागराज(एजेंसी)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी या जांच एजेंसी किसी ऐसी प्रॉपर्टी को सीज करता है जिसका किसी अपराध से सम्बंध है तो प्रापर्टी सीज करने के बाद इसकी सूचना सक्षम क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट को देना होगा, जरूरी है। मगर प्रापर्टी सीज करने से पूर्व मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है।
कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 की व्याख्या करते हुए यह स्पष्ट किया है कि यदि प्रॉपर्टी सीज करने की सूचना समक्ष मजिस्ट्रेट को समय से दी गई है तो प्रॉपर्टी रिलीज कराने के लिए याची सम्बंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर सकता है। नोएडा के इंडिपेडेंट टीवी नेटवर्क की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने यह आदेश शनिवार को दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता नीरज कांत वर्मा ने पक्ष रखा। कोर्ट ने याची को अपने सीज बैंक खाता खोलने के लिए सक्षम मजिस्ट्रेट के सामने प्रार्थना पत्र देने और मजिस्ट्रेट को उस पर नियमानुसार निर्णय लेने का आदेश दिया है। याची कंपनी के वकील का कहना था कि उसका पंजाब नेशनल बैंक नोएडा स्थित करेंट बैंक एकाउंट खोलने का एसएसपी नोएडा को आदेश दिया जाए। पुलिस और ईडी ने याची के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका बैंक एकाउंट सीज कर दिया है। इस मामले में सीआरपीसी की धारा 102 के प्रावधानों को लेकर बहस हुई।
याची का कहना था कि नियमानुसार खाता सीज करने की कार्रवाई से पूर्व मजिस्ट्रेट की अनुमति नहीं ली गई। कोर्ट ने कहा कि धारा 102 (3) के तहत पुलिस अधिकारी कोई भी ऐसी संपत्ति जब्त कर सकता है जिसका किसी अपराध से सम्बंध है। इसके बाद पुलिस अधिकारी को इसकी जानकारी सम्बंधित क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट को देनी होगी। सीज करने से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक नहीं है। याची का खाता सीज करने की जानकारी एसीजेएम तृतीय को पुलिस द्वारा दी गई थी।