किसानों ने पराली जलाई तो जायेगें जेल, होगा शस्त्र लाइसेंस भी निरस्त : आन्द्रा वामसी
झांसी(हि.स.)। जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी ने कैम्प कार्यालय में समस्त एसडीएम व खण्ड विकास अधिकारियों के साथ जनपद के किसानों द्वारा पराली जलाये जाने की घटना को रोकने पर मंथन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि किसान यदि पराली जलाता है तो धारा 151 में सीधे जेल भेजा जाए और यदि उसके नाम शस्त्र है तो उसका लाइसेंस भी निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही किसान को आगामी फसल में बुवाई के लिए बीज न दिया जायें।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि उन्होंने एक पत्र जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों को लिखा है और साफ-साफ संकेत दिये है कि ग्राम पंचायत में पराली जलाये जाने की घटना घटित न हो। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान भी ग्राम पंचायत में विशेष जागरूकता अभियान चलाते हुए ग्रामीणों से जन संपर्क करें और जनता को साथ लेकर पराली जलाने का काम रुकवाया जाये। जिलाधिकारी ने समस्त उपजिलाधिकारी व खण्ड विकास अधिकारियों के साथ जनपद में पराली जलाये जाने की घटना न घटित हो, इसे कडाई से सुनिश्चित किया जाये।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर जागरुकता अभियान चलाते हुये आग लगाने से मृदा पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी दे और यह भी अवगत कराये कि यदि उनके द्वारा इस तरह का अपराधिक कृत्य किया जाता है तो सम्बन्धित के विरुद्व क्षतिपूर्ति की वसूली, करावास एवं अर्थदण्ड किया जायेगा। यह जानकारी सार्वजनिक स्थलों पर वालपेंटिंग के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करते हुये लिखा जाये कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम (एनजीटी) की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत खेत में फसल के अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है। पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड के प्राविधान 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये 2500 रुपये प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ वाले क्षेत्र के लिये 5000 रुपये प्रति घटना, 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिये 1500 रुपये प्रति घटना तथा अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने गरौठा व मोंठ में पराली जलाये जाने की घटना को गम्भीरता से लिया और सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने 112 को निर्देशित किया कि गस्त के दौरान पराली जलाये जाने की घटना पर नजर रखे और यदि कही घटना हो तो तत्काल उच्चाधिकारियों को सूचित करे। जिलाधिकारी ने कहा कि तहसीलवार द्वारा ऐसे गांवों को चिन्हित किया जाये जहां धान की फसल बोई गई हो। यह भी सूचना एकत्र की जाये कि कितने किसानों ने कितने हेक्टेयर भूमि पर धान की बुवाई की, इसकी सूची तैयार कर ली जाये। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार, एडीएम राम अक्षयवर चैहान, प्रभारी डीडी कृषि केके सिंह, डीपीआरओ जेपी गौतम सहित समस्त उपजिलाधिकारी व खण्ड विकास अधिकारी उपस्थित रहे।