काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ ने सुनी कजरी, युवा कलाकारों ने लगाई हाजिरी
वाराणसी (हि.स.)। श्रावण पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर शनिवार की शाम काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के पंचबदन रजत प्रतिमा का पारंपरिक रूप से शृंगार किया गया। मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा को नगर के उभरते संगीतकारों ने कजरी सुनाई।
पद्मविभूषण स्वर्गीय गिरिजा देवी के शिष्य रोहित-राहुल मिश्र के शिष्यों ने बाबा को कजरी और भजन सुनाया। युवा कलाकारों ने झूला धीरे से झुलाऊं महादेव, गंगा किनारे पढ़ा हिंडोल, डमरूवाले औघड़दानी, झिर झिर बरसे सावन रस बूंदिया, कहनवा मानो ओ गौरा रानी, जय जय हे शिव परम पराक्रम, तुम बिन शंकर आदि गीत सुनाए। आराधना मिश्रा, पूजा राय अथर्व मिश्र, तरुण सिंह, सत्यम पटेल, सूरज प्रसाद ने भी बाबा के चरणों में कजरी गीत पेश की।
महंत डॉ कुलपति तिवारी ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा (22 अगस्त) पर मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा के तहत बाबा विश्वनाथ को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव सायंकाल साढ़े पांच बजे के बाद आरंभ होगा। उससे पूर्व टेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की रजत पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा।
पूजनोपरांत मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके टेढ़ीनीम से साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाएंगे। इस दौरान बाबा का विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका रहेगा। मंदिर पहुंचने के बाद बाबा की पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ पारंपरिक झूले पर विराजमान कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सर्वप्रथम खुद बाबा को झूला झुलाएंगे। इसके उपरांत सप्तर्षि आरती कराने वाले महंत परिवार के सदस्य बाबा का झूला झुलाएंगे। बाबा के झूले की डोर थामने की आज्ञा सिर्फ उन्हीं भक्तों को होगी जो बिना सिला हुआ वस्त्र धारण किए रहेंगे। डा.कुलपति तिवारी ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर के लिए सायं साढ़े चार से सवा पांच बजे तक विधान पूर्वक पूजन किया जाएगा।