कानपुर (हि.स.)। उप्र के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को सुबह 10 से 12 बजे तक कार्यालयों में बैठकर जन सुनवाई करें। मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद कानपुर में इसकी उलट तस्वीर उस वक्त देखने को मिली जब मंडलायुक्त केडीए कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे। हैरत की बात यह है कि इस दौरान अफसर व विभिन्न कार्यों के पटल बाबू सहित 218 कर्मी ड्यूटी से अनुपस्थित मिले। यह देख मंडलायुक्त ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
मंडलायुक्त कानपुर डॉ राजशेखर कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) कार्यालय में जनता की शिकायतों को जन सुनवाई को परखने औचक निरीक्षण करने पहुंचे। अचानक सुबह 10:15 से 10:30 बजे के बीच केडीए में मंडलायुक्त को देख कर्मियों में हड़कम्प मच गया। आयुक्त ने केडीए के 21 विभागों का एक-एक निरीक्षण किया। हैरत की बात यह रही कि कार्यालय में 70 फीसदी से अधिक अधिकारी और कर्मचारी अनुपस्थित रहें। कुछ विभागों/अनुभागों में सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अनुपस्थित रहे। निरीक्षण के दौरान 21 विभागों के कुल 312 कर्मचारियों की जांच की गई, जिनमें से 218 ड्यूटी से अनुपस्थित पाए गए। इनमें पाया गया कि अधिकांश प्रभारी जोनल अधिकारी जो अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं, वह भी अनुपस्थित पाए गए। साथ ही उन्होंने कई महीनों से उपस्थिति रजिस्टर को “देखा” या “चेक” नहीं किया है।
मंडलायुक्त ने पाया कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी कई दिनों से अनुपस्थित पाए गए। उपस्थिति रजिस्टर में कोई कारण या टिप्पणी उल्लिखित नहीं है। इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ “अनुपस्थित” चिह्नित किया, जो अपने कार्यालयों से गायब थे। उन्होंने केडीए उपाध्यक्ष और सचिव को सभी अनुपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और अगले 03 दिनों में उनका स्पष्टीकरण मांगा है। आयुक्त से सख्त हिदायत दी है कि अनुपस्थित कर्मियों द्वारा उचित जवाब न मिलने पर प्रशासनिक कार्रवाई अमल में लाई जाए।
अधिकारियों को भ्रमण रजिस्टर तक नहीं मिला
आयुक्त के निरीक्षण में साफ हुआ कि इंजीनियरिंग विभाग, प्रवर्तन विभाग और भूमि विभाग आदि जैसे क्षेत्र में काम करने या नियमित निरीक्षण करने वाले अधिकारियों के लिए कोई “मूवमेंट रजिस्टर” नहीं रखा जाता है। आयुक्त ने वीसी केडीए और सचिव को संबंधित अधिकारियों को अनुभागों में उचित भ्रमण रजिस्टर बनाए जाने के निर्देश दिए ताकि अधिकारी और कर्मचारी स्थिति का दुरुपयोग न करें।