कथित फर्जी मार्कशीट पर नौकरी कर रहे अध्यापकों की बर्खास्तगी पर रोक

प्रयागराज(एजेंसी)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की फर्जी बीएड मार्कशीट पर नौकरी कर रहे अध्यापकों को राहत देते हुए उनकी बर्खास्तगी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है। साथ ही एसआईटी जांच के आधार पर इन अध्यापकों की बर्खास्तगी को सही करार देने सम्बंधी हाईकोर्ट के एकल न्यायपीठ के आदेश पर भी रोक लगा दी है। 
कोर्ट ने राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग सहित सभी सम्बंधित पक्षकारों को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली किरन लता सिंह और अन्य की विशेष अपील पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने यह आदेश दिया। अपील पर बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि एसआईटी की जांच में बीएड की डिग्रियां फर्जी पाया जाना अध्यापकों की बर्खास्तगी का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। जब तक कि एसआईटी की रिपोर्ट को लेकर अध्यापकों की आपत्तियों को न सुना जाए। उन्होंने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट अभी न्यायालय से कन्फर्म भी नहीं हुई है। याचीगण ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती नहीं दी है। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा मात्र एसआईटी की रिपोर्ट को आधार बनाकर अध्यापकों को सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय गलत है।
कोर्ट का कहना था कि यह सभी सहायक अध्यापक एक दशक से अधिक समय से काम कर रहे हैं। कोर्ट द्वारा इनकी बर्खास्तगी पर पूर्व में दो बार अंतरिम रोक इस आधार पर लगाई गई थी कि मार्कशीट में फर्जीवाड़ा अकेले छात्रों का काम नहीं हो सकता। जब तक कि सम्बंधित अधिकारियों की मिलीभगत न हो। याचीगण की बर्खास्तगी के गंभीर परिणाम होंगे। क्योंकि इसके बाद उनसे लिए गए वेतन की वसूली का आदेश दिया जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में यथास्थिति बरकरार रखना न्यायहित में होगा।

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