लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश के एमएसएमई एवं रेशम मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि रेशम विकास को गति देकर और रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई नीति बनाई जायेगी। इसके साथ ही किसानों को तकनीकी सहायता के साथ प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। इसके अलावा प्रदेश में राॅ मैटेरियल बैंक भी स्थापित कराया जायेगा।
श्री सिंह गुरुवार को अपने सरकारी आवास पर रेशम विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रेशम की खपत 3,000 मीट्रिक टन है, जबकि उत्पादन मात्र 300 मी.टन ही है। लगभग 2,000 मी. टन रेशम चीन से आयात होता है। प्रदेश को रेशम व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनाने और रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक किसानों को इस व्यवसाय से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन प्रान्तों में रेशम का उत्पादन अधिक होता है, वहां का अध्ययन कर रेशम उत्पादन बढ़ाने की कारगर योजना बनायें।
श्री सिंह ने कहा कि पारम्परिक खेती के साथ रेशम व्यवसाय किसानों की आमदनी बढ़ाने का मुख्य जरिया है। अधिक से अधिक किसान इस व्यवसाय से जुड़े इसके लिए प्रोत्साहनपरक योजनाएं शुरू की जाएं साथ ही आर्थिक गतिविधियां सृजित करने पर विशेष बल दिया जाय। इसके अतिरिक्त प्रदेश के तराई क्षेत्रों में बंजर, ऊसर जमीनों को चिह्नित कर उनको उपजाऊ बनाते हुए शहतूत के पौधे लगवाये जाएं।
अपर मुख्य सचिव रेशम रमारमण ने बताया कि रेशम विभाग द्वारा प्रदेश में रेशम उत्पादन में वृद्धि के लिए आगामी 10 वर्षों की महत्वाकांक्षी कार्य योजना तैयार की गयी है। इसके तहत आगामी 10 वर्षों में 6000 एकड़ शहतूत पौधरोपण कराते हुए प्रतिवर्ष 300 मी.टन अतिरिक्त रेशम उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही रेशम विकास को गति देने के लिए 100 किसानों पर एक रेशम मित्र तैनात किया जायेगा, जो लाभार्थी बैंक एवं परिक्षेत्रीय कार्यालय के मध्य समन्वय का कार्य करेंगे।
उन्होंने बताया कि 25 किसानों पर एक रेशम साथी भी तैनात किया जायेगा, जो पौधरोपण, प्रशिक्षण, कीट पालन, कोया उत्पादन एवं कोया विक्रय में सहयोग करने के साथ ही समूह निर्माण का भी कार्य करेंगे।
निदेशक रेशम नरेन्द्र सिंह पटेल ने बताया कि भूमिहीन किसानों को फार्म पर ही सामूहिक कीट पालन गृह की व्यवस्था कर फार्म की पत्ती से कीट पालन कार्य कराने की व्यवस्था की गयी है। रेशन उत्पादन के लिए गांव को रेशम ग्राम के रूप में चयन कर मध्यम जोत के किसानों को 0.5 एकड़ में शहतूत पौधरोपण कर रेशम उत्पादन कराया जायेगा। बड़े किसान पांच एकड़ या अधिक जोत के किसानों के यहां एक एकड़ में शहतूत पौधरोपण कराकर आदर्श प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
निदेशक के अनुसार परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के अन्तर्गत रेशम ग्राम का चयन कर किसानों को कोया उत्पादन के बारे में अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जायेगा। चयनित किसानों के यहां पौधरोपण कार्य प्राथमिकता से सुनिश्चित किया जायेगा। पौधरोपण की सहायता के लिए समयानुसार किसानों को पौधों के रख-रखाव के बारे में दक्ष किया जायेगा। कीट पालन एवं ककून उत्पादन के साथ ही ककून विक्रय के बारे में भी प्रशिक्षित किया जायेगा। किसानों को केन्द्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से धागाकरण इकाइयों की स्थापना पर बल दिया जायेगा।
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