उप्र: एनजीटी के आदेश का असर, लोगों ने पर्यावरण हितैषी मनाई ‘दीपावली’

लखनऊ(हि.स.)। दीपावली की रात नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) द्वारा पटाखों के फोड़ने पर लगाए बैन के कारण लोगों ने पर्यावरण हितैषी दीपावली मनाई है। जिसके कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक 15 नवंबर सुबह आठ बजे तक लगभग स्थिर रहा, लेकिन जैसे-जैसे सुबह के 10-11 बजे और लोग अपनी गाड़ियों से दीपावली मिलन के लिए घर से बाहर निकले। जगह-जगह ट्रैफिक लाइट पर वाहनों की लंबी कतार देखी गईं, जिससे लखनऊ की हवा फिर जहरीली होना शुरू हो गई है। 

लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स बीती रात 08 बजे तक 329, राजधानी का सबसे पॉश इलाका गोमतीनगर में दीपावली की रात 10 बजे तक 155, जबकि आज सुबह 10 बजे तक 301, अलीगंज में रात्रि 318, रविवार सुबह 10 बजे तक 396, जबकि लखनऊ के औद्योगिक क्षेत्र में दीपावली की रात 11 बजे 352 तथा रविवार की पूर्वाह्न 11 बजे तक 400 तक पहुंच चुका था। 
बता दें 0-50 डिजिट तक के एयर क्वालिटी इंडेक्स को बहुत अच्छा माना जाता है। 51-100 के बीच संतोषजनक, 101-200 के बीच औसत, 201-300 के बीच बुरा, 301-400 के बीच हो तो बहुत बुरा और अगर यह 401 से 500 के बीच हो तो इसे गंंभीर माना जाता है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने राजधानी लखनऊ समेत यूपी के 13 शहरों में पटाखों की बिक्री और जलाने पर प्रतिबंध लगाया था। जिसमें राजधानी लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा समेत कई जिले शामिल थे।
पर्यावरणविद् सुशील द्विवेदी ने लोगों से पर्यावरण प्रदूषण को कम करने हेतु कुछ उपाय सुझाते हुए बताया कि अगर रास्ते में ट्रैफिक सिग्नल लाल हो जाए तो आपको तुरंत अपनी गाड़ी बंद कर देनी है ताकि प्रदूषण के स्तर को काबू में रखने में मदद मिले। लखनऊ इस समय प्रदूषण का सबसे बुरा दौर झेल रही है और वायु की गुणवत्ता खराब और बेहद खराब की स्थिति के बीच है। 
बताया कि बिगड़ती हवा के लिए अक्सर पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, दीपावली पर पटाखों को जलाने, लखनऊ में निर्माण क्षेत्र से उड़ने वाली धूल भी जिम्मेदार है, वहीं अब स्मॉग का बनना एक और खतरे को जन्म दे रहा है। स्मोग कोरोना वायरस के प्रभाव को और बदतर कर रहा है।  
होमियोपैथ के प्रसिद्ध चिकित्सक डा. अनिरूद्ध वर्मा ने बताया कि हवा में जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ने से लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने के साथ-साथ आंखों में जलन की भी शिकायत सामने आ रही है। बताया कि बढ़ते प्रदूषण के चलते ये परेशानियां होना आम बात है। शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग आंखों के जलने सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं।  बहुत से दूसरे लोग अपने घरों में होने के बावजूद आंखें जलने की शिकायत कर रहे हैं।
इनडोर प्रदूषण एक साइलेंट खतरा पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी की मानें तो बाहर के प्रदुषण के ज्यादा होने से घर के अन्दर अर्थात इनडोर प्रदुषण का स्तर भी तेजी से बढ़ता हुआ दिख रहा है। एयर कंडीशनर लगे कमरों में बंद हम खुली हवा की महक भूल से गए है। यह बंद-बंद सी हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है जो सांस से सम्बंधित रोगों एलर्जी, सरदर्द, थकान और अन्य बिमारियों को जन्म दे सकती हैं, इसके अतिरिक्त हमारे रोज़ के रहन सहन में ऐसी चीज़े भी हैं जो घरों की हवा में विषैले तत्व और गैस धीरे धीरे छोडती रहती है।
बताया कि फार्मेल्डीहाइड, कार्बन डाई-ऑक्साईड, कार्बन मोनो ऑक्साईड, बेंजीन, नाइट्रोजन ऑक्साईड ऐसी विषैली गैसें हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक है। प्लास्टिक और रासायनिक पेंट्स, प्लास्टिक के सामानों, मच्छर कोकरोच मारने वाले स्प्रे, वार्निश, नए कालीन, रासायनिक एयर फ्रेशनेर्स आदि में पाए जाते है जो हमारे घरो को विषैला कर रहे हैं।
इनडोर पॉल्यूशन से बचने के उपाय 
धुआं और धूल से हर संभव बचने की कोशिश करें।अस्थमा के मरीज़ निबोलाइजर और इनहेलर हमेशा साथ रखें।एन-95 मास्क पहनें, ये आपको धूल से होने वाली परेशानी से बचाएगा।पानी से भीगे रूमाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।आंख और नाक लाल हो तो ठंडे पानी से उसे धोएं।होंठ पर जलन होने पर उसे धोएं।

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