ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल में उप्र लगातार नौ माह से देश में शीर्ष स्थान पर
लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अपराधियों को सजा दिलाने के काम में और तेजी लायी गई है। इसके लिए अभियोजन विभाग को और अधिक सक्रिय बनाते हुए शासन ने आवश्यक सुविधायें भी उपलब्ध करायी हैं। अभियोजन कार्य से जुड़े अधिकारियों को ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर कार्य करने के लिए व्यावहारिक जानकारी देकर उन्हें और सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिलाया गया है।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को बताया कि ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर लगभग 16 लाख कार्यवाहियां दर्ज करते हुये उत्तर प्रदेश अभियोजन विभाग सम्पूर्ण भारत में लगातार 9 माह से प्रथम रैंक पर है। प्रत्येक परिक्षेत्रीय मुख्यालय पर अभियोजन साक्षी जागरूकता शिविरों का आयोजन कराया गया तथा ई-प्रॉसीक्यूशन पर समस्त अभियोजकों का प्रशिक्षण पूर्ण किया जा चुका है।
अपर पुलिस महानिदेशक, अभियोजन आशुतोष पाण्डेय के अनुसार अभियोजकों को और अधिक सक्रिय करने के लिए आवश्यक सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किये गये हैं। पक्षद्रोहिता एवं दोषमुक्ति निवारण के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के साथ शोध अभियान चलाया गया। 200 अभियोजकों का उच्च गुणवत्ता सहित दक्षता विकास हेतु डाॅ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण भी दिलाया गया। अभियोजकों के लिए ख्यातिलब्ध विधिवेत्ताओं की पुस्तकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करायी गयी है। प्रत्येक जनपद में इण्टरनेट कनक्टिविटी की व्यवस्था भी करायी गयी है।
अपर पुलिस महानिदेशक, अभियोजन ने बताया कि सभी अभियोजकों के अद्यावधिक विधिक ज्ञान की सुनिश्चितता हेतु उन्हे सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों की डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से उपलब्धता करायी गयी है। फीडिंग सम्बन्धी प्रभावी प्रशिक्षण हेतु ऑडियो-वीडियो ट्यूटोरियल की भी उपलब्धता करायी गयी।
ई-कोर्ट पर उपलब्ध काॅजलिस्ट को ई-प्राॅसीक्यूशन पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया। लगभग 500 अभियोजकों को ई-प्रॉसीक्यूशन एवं अन्य विभागीय कार्यों एवं ई-लाइब्रेरी की सुविधा के लिए लैपटाप की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। वर्ष 2020-21 में सम्पूर्ण विभाग को डिजिटाइज करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।