इस बार यहां नहीं होंगे प्रधानी चुनाव, जानिए कौन संभालेगा जिम्मा

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी जोरों है। मतदाता पुनरीक्षण का कार्यक्रम लगभग सभी ग्राम पंचायतों में पूरा हो चुका है। अब पुनर्गठन और आंशिक परिसीमन की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में लोगों में मन में सवाल उठ रहे हैं कि पंचायतों के विस्तार के बीच जो गांव कटेंगे या यूं कहें जो नगर पालिका में शामिल होंगे वहां क्या इस बार चुनाव होगा। अगर चुनाव नहीं होगा तो क्या होगा, इस पर जानकारों कहना है कि जो नगर पालिका में शामिल होने वाले गांवों में इस बार प्रधानी का चुनाव नहीं होगा और जब तक इन वार्डों में सभासद चुनाव नहीं होता है तब तक इनका जिम्मा पालिका के ईओ लेंगे। आपको बता दें कि यूपी पंचायत चुनाव से पहले शहरी सीमा विस्तर में प्रभावित हुई ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की इजाजत सरकार ने दे दी है। इसके तहत 42 जिलों की पूरी तरह से शहरी सीमा में शामिल हुई पंचायतों से पंचायती राज विभाग का नाता खत्म हो गया है। अब आंशिक रूप से शहरी सीमा में गई पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा। वहीं शहरी सीमा में पूर्ण रूप से शामिल हुई पंचायतों के विकास की जिम्मेदारी अब नगर विकास विभाग की होगी।
उधर पंचायती राज विभाग ने अभी तक शहरी क्षेत्र में पूरी या आंशिक रूप से शामिल की जा चुकीं पंचायतों के ब्यौरे को अंतिम रूप नहीं दिया है। इस आंशिक परिसीमन के समय से पूरा न होने की वजह से चुनाव प्रक्रिया पिछड़ रही है। आंशिक परिसीमन के बाद ही वार्डों का नए सिरे से निर्धारण होगा और फिर आरक्षण तय किया जाएगा। इस काम में करीब दो महीने का समय लगेगा। इस तरह से दिसम्बर व जनवरी वोटर लिस्ट, परिसीमन व आरक्षण निर्धारण आदि में ही लग जाएंगे। इसके बाद अगर चुनाव करवाया जाएं तो चार चरणों के मतदान में दो महीने लगेंगे, जिसमें फरवरी व मार्च लग जाएंगे। मार्च वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना होने और गेहूं की कटाई, वार्षिक परीक्षाओं की वजह से भी मार्च को पंचायत चुनाव के लिए मुफीद नहीं माना जा रहा है। इस लिहाज से अब यह चुनाव अप्रैल और मई के महीनों में ही करवाए जाने के आसार बन रहे हैं।

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