आत्म भारत की संकल्पना पुरातन काल से : डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी

प्रयागराज। आत्मभारत की संकल्पना पुरातन काल से है, जिसका सम्बंध हमारे ऋषियों से महर्षियों तथा वैज्ञानिक पद्धति से है। जिसके आधार पर हम लोगों के सामने एक नए भारत का निर्माण हो रहा है। इसके मुख्य आधार हमारे महापुरुष तब भी थे और आज भी हैं। उक्त विचार उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने राजापुर स्थित रानी रेवती देवी इण्टर कालेज में महर्षि अरविंद घोष की जयंती पर संबोधित करते हुए व्यक्त किया। इस दौरान उन्होंने महर्षि के जीवन पर बड़े ही सारगर्भित ढंग से प्रकाश डाला। विद्यालय में महर्षि अरविंद घोष की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास वातावरण में ऑनलाइन के माध्यम से मनाया गया।
इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिकाओं ऋचा गोस्वामी, दीक्षा पांडेय, पायल जायसवाल, अर्चना राय एवं किरन सिंह ने संस्कृत गीत ‘भाति में भारतम’ तथा विद्यालय के संगीताचार्य मनोज गुप्ता ने ‘है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं’ प्रस्तुत करके उपस्थित अतिथियों एवं श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्षता संत शिव कुमार पांडे ने किया। 
 धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडेय ने कहा कि व्यक्तिगत मन से राष्ट्र मन बड़ा करने की आवश्यकता है। उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से कहा कि यह भूमि हमारी मां है, हम इसके पुत्र हैं, इसके प्रति हमारे जो दायित्व है उसका निर्वहन करना आवश्यक है। 
विद्यालय के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता ने बताया कि विद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा पुरा छात्रों ने भी ऑनलाइन कार्यक्रम में सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन मान सिंह यादव तथा विभु श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में रमेश चंद्र मिश्रा, जटाशंकर तिवारी, शिव नारायण सिंह, कामाख्या प्रसाद दुबे, आनंद कुमार सिंह, अशोक कुमार मौर्य, दिनेश कुमार शुक्ला, सत्य प्रकाश पांडे, अवधेश कुमार गुप्ता, विनय कुमार यादव सहित समस्त अध्यापक अध्यापिकाएं शामिल रहे।

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