अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ के कोरोना वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण प्रस्ताव को ठुकराया
-कोरोना वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण पर डब्ल्यू एच ओ का प्रस्ताव क्या है
-अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को ठुकरा अपनाई एकला चलो की नीति
लॉस एंजेल्स, 02 सितंबर: अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ के कोरोना वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण में सहयोग के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। डब्ल्यूएचओ इस कोशिश में है कि कोरोना वैक्सीन के त्वरित विकास, उत्पादन और एक सामान वितरण के लिए एक ऐसी व्यवस्था ‘कोवेक्स’ क़ायम की जानी चाहिए ताकि दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से समय रहते निजात मिल सके। इसके लिए दुनिया भर से क़रीब 172 देशों के प्रतिनिधियों के सहयोग मिलने की उम्मीद की जा रहे है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता के हवाले से कहा जा रहा है कि ट्रम्प प्रशासन का डब्ल्यूएचओ पर से विश्वास उठ चुका है। अमेरिका ऐसे किसी भी प्रस्ताव में सहभागी बनने को तैयार नहीं है, जिसमें डब्ल्यूएचओ शामिल हो। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ को चीन के हितों का संरक्षक बताते हुए उससे पहले ही पल्ला झाड़ लिया है। यही नहीं, ट्रम्प प्रशासन डब्ल्यू एच ओ को उसकी मलेरिया, डेंगू और एड्स आदि रोगों के निदान में अतिरिक्त सहयोग दिए जाने से भी इनकार कर चुका है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने पहले से कोविड-19 वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण के लिए एक उच्च स्तर पर करोड़ों डालर की मदद से ‘रैप स्पीड एक्शन टीम’ का गठन कर चुका है। यही नहीं, अमेरिका ने ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ के नाम पर दस करोड़ वैक्सीन डोज़ के लिए वैक्सीन का विकास करने और उत्पादन करने वाली कंपनियों से पेशगी राशि दे कर समझौता भी कर लिया है।
डब्ल्यू एच ओ कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस फ़ैसिलिटी (कोवेक्स) के नाम पर इन दिनों विभिन्न देशों से वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण के मुद्दे को लेकर 170 से अधिक देशों से सम्पर्क कर चुका है। डब्ल्यू एच ओ ने प्रस्ताव में कहा है कि उसका उद्देश्य वेक्सीन को जल्दी से जल्दी विकसित की जाएम इसके बड़े स्तर पर उत्पादन में आने वाली रुकावटों को दूर किया जाए तथा फिर इसका वितरण उन देशों में ज़्यादा किया जाए, जहाँ कोरोना के अधिकाधिक मरीज़ जोखिमपूर्ण स्थिति में हों । इस व्यवस्था में अमेरिका के मित्र देश जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय देश अथवा मिडल ईस्ट में देश शामिल होंगे, एक प्रश्न चिन्ह लग गया है।