UP News : भगवान दत्तात्रेय जयंती: दत्तात्रेय के नामजप से पितृदोष से मिलती है मुक्ति

आध्यात्मिक उन्नति के लिए औघड़ संतों के साथ श्रद्धालु व्रत उपासना के लिए तैयार

वाराणसी (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में अघोर साधना से जुड़े संतों,औघड़ों के अलावा आम श्रद्धालुओं में भी भगवान दत्तात्रेय की जयंती को लेकर उत्साह है। भगवान की जयंती मंगलवार 29 दिसम्बर को है।
  ऋषि अत्रि और माता अनसूया के पुत्र दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। सनातन धर्म में विश्वास है कि भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु थे। जिनसे उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। 
सनातन संस्था के गुरूराज प्रभु ने रविवार को बताया कि हर साल भगवान दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इन्हीं के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। दक्षिण भारत में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।
  उन्होंने बताया कि दत्त अर्थात वह जिसने निर्गुण की अनुभूति प्राप्त की है। वह जिसे यह अनुभूति प्रदान की गई है कि ‘मैं ब्रह्म ही हूं, मुक्त ही हूं, आत्मा ही हूं ।’ उन्होंने कहा कि वर्तमान काल में पूर्व की भांति कोई श्राद्ध-पक्ष इत्यादि नहीं करता और न ही साधना करता है। इसलिए अधिकतर लोगों को पितृदोष (पूर्वजों की अतृप्ति के कारण कष्ट) होता है। आगे पितृदोष की संभावना है या वर्तमान में हो रहा कष्ट पितृदोष के कारण है, यह केवल सिद्ध पुरुष ही बता सकते हैं। किसी सिद्ध पुरुष से भेंट संभव न हो, तो यहां पितृदोष के कुछ लक्षण दिए हैं – विवाह न होना, पति-पत्नी में अनबन, गर्भधारण न होना, गर्भधारण होने पर गर्भपात हो जाना, संतान का समय से पूर्व जन्म होना, मंदबुद्धि अथवा विकलांग संतान होना, संतान की बचपन में ही मृत्यु हो जाना आदि । व्यसन, दरिद्रता, शारीरिक रोग, ऐसे लक्षण भी हो सकते हैं।
 उन्होंने बताया कि दत्तात्रेय के नामजप से पितृदोष से रक्षा होती है। सुरक्षा-कवच निर्माण होता है। पूर्वजों को गति प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार का कष्ट न हो रहा हो, तो भी आगे चलकर कष्ट न हो इसलिए, साथ ही यदि थोड़ा सा भी कष्ट हो तो ‘श्री गुरुदेव दत्त।’ नामजप 1 से 2 घंटे नियमित करना चाहिए। शेष समय प्रारब्ध के कारण कष्ट न हो इस लिए एवं आध्यात्मिक उन्नति हो इसलिए सामान्य मनुष्य अथवा प्राथमिक अवस्था का साधक कुलदेवता का अधिकाधिक नामजप करे। 
 उन्होंने बताया कि कुलदेवता के नामजप के साथ ‘श्री गुरुदेव दत्त।’ नामजप प्रतिदिन 2 से 4 घंटे करें । गुरुवार को दत्तमंदिर जाकर सात परिक्रमाएं करें एवं बैठकर एक-दो माला जप वर्षभर करें। तत्पश्चात तीन माला नामजप जारी रखें। जीवन में अधिक कष्ट हो तो कुलदेवता के नामजप के साथ ही ‘श्री गुरुदेव दत्त।’ नामजप प्रतिदिन 4 से 6 घंटे करें। किसी ज्योतिर्लिंग में जाकर नारायणबलि, नागबलि, त्रिपिंडी श्राद्ध, कालसर्पशांति आदि विधियां करें। साथ ही किसी दत्तक्षेत्र में रहकर साधना करें अथवा संत सेवा कर उनके आशीर्वाद प्राप्त करें।

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