Basti News:डॉक्टर की गैर मौजूदगी में अस्पताल से नहीं मिलेगी दवा
संवाददाता
बस्ती। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के फरमान पर अमल हुआ तो किसी भी सरकारी अस्पताल में चिकित्सक की गैर हाजिरी में मरीज को दवा नहीं मिल सकेगी। शासन ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर आयोग के फरमान पर कड़ाई से पालन करने को कहा है। विभागीय फरमान पर अमल के बाद जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर असर पड़ना लाजिमी है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के केस संख्या 160/24/13/2018 के संबंध में आयोग द्वारा जारी फरमान के अनुसार भविष्य में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की अनुपस्थिति में अनधिकृत किसी भी कार्मिक द्वारा मरीजों को दवा आदि देने की अनुमति नहीं होगी। आयोग के इस आदेश का पालन कराने को सभी अस्पतालों को निर्देशित करने के लिए शासन ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा है। शासन के पत्र पर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश ने सभी एडी हेल्थ, सीएमओ व सीएमएस पुरूष/महिला अस्पताल को पत्र लिखकर आदेश का कड़ाई से पालन कराने को कहा है। शासन की ओर से आयोग के सहायक निबंधक (विधि) को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है कि आदेश पर अमल कराए जाने के लिए जिलों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। शासन के इस पत्र को लेकर फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने सीएमओ को पत्र लिखकर गाइड लाइन जारी करने को कहा है। एसोसिएशन के जिला मंत्री शैलेंद्र राय का कहना है कि दवा वितरण का कार्य फार्मासिस्ट का होता है। आयोग का फरमान क्या उनके ऊपर भी लागू होगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। पहली जनवरी 2018 को एक न्यूज चैनल में खबर चली थी। खबर में दिखाया गया था कि बाराबंकी जिले की एक पीएचसी में चिकित्सक व फार्मासिस्ट की गैर मौजूदगी में वहां का वार्ड ब्वॉय मरीजों में दवा बांट रहा था। आयोग ने इसका स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश शासन से रिपोर्ट तलब की थी। शासन की रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग ने इस मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए स्पष्ट आदेश दिया है कि डॉक्टर की गैर हाजिरी में कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति दवा का वितरण नहीं करेगा।
आयोग के फरमान पर अमल हुआ तो जिले के ग्रामीण अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हो सकती है। चिकित्सकों के अभाव में फार्मासिस्ट के भरोसे कई अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा रात्रि के समय कम ही अस्पतालों में चिकित्सक मिलते हैं। वहां पर फार्मासिस्ट ही प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को रेफर तक कर रहे हैं। अगर इसके लिए चिकित्सक की शर्त अनिवार्य हुई तो मरीजों को प्राथमिक उपचार मिलना मुश्किल हो जाएगा। बस्ती मंडल के एडी हेल्थ डॉ. सीके शाही ने कहा कि इस संबंध में जानकारी तो मिली है, लेकिन विभाग से पत्र नहीं मिला है। पत्र आने के बाद डीजी हेल्थ से दिशा-निर्देश मांगा जाएगा। चिकित्सकों की कमी को देखते हुए ग्रामीण अस्पतालों के संचालन के लिए नए सिरे से व्यवस्था करनी होगी।
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