पत्रकारिता और सर्वोच्च इंसानी मान्यताओं के अजातशत्रु थे ललित सुरजन

शेष नारायण सिंह

ललित सुरजन जी चले गए. 74 साल की उम्र भी जाने की कोई उम्र है लेकिन उन्होंने हमको अलविदा कह दिया. देशबंधु अखबार के प्रधान संपादक थे. वे एक सम्मानित कवि व लेखक थे .सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखते थे. उनके लिए शामिल होते थे. इसलिए उनके जानने वाले उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता भी मानते हैं. वे साहित्य, शिक्षा, पर्यावरण, सांप्रदायिक सदभाव व विश्व शांति से सम्बंधित मुद्दों पर हमेशा बेबाक राय रखते थे. दुनिया भर के देशों की संस्कृति और रीति रिवाजों की जानकारी रखने का भी उनको बहुत शौक़ था. उनके स्तर का यात्रा वृत्तान्त लिखने वाला मैंने दूसरा नहीं देखा. ललित सुरजन एक आला और नफीस इंसान थे. देशबन्धु अखबार के संस्थापक स्व मायाराम सुरजन के बड़े बेटे थे. मायाराम जी मध्यप्रदेश के नेताओं और पत्रकारों के बीच बाबू जी के रूप में पहचाने जाते थे. वे मध्यप्रदेश में पत्रकारिता के मार्गदर्शक माने जाते थे उन्होंने मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन को बहुत ही सम्मान दिलवाया .वे नए लेखकों के लिए खास शिविर आयोजित करते थे और उनको अवसर देते थे. बाद में उनमें से बहुत सारे लेखक बहुत बड़े साहित्यकार बने, उनमें से एक महान साहित्यकार प्रोफ़ेसर काशीनाथ सिंह भी हैं. ‘अपना मोर्चा‘ जैसे कालजयी उपन्यास के लेखक डॉ काशीनाथ सिंह ने मुझे एक बार बताया कि मायाराम जी ने उनको बहुत शुरुआती दौर में मंच दिया था. महान लेखक हरिशंकर परसाई जी से उनके पारिवारिक सम्बन्ध थे. स्व मायाराम जी के सारे सद्गुण ललित जी में भी थे .उन्होंने 1961 में देशबन्धु में एक जूनियर पत्रकार के रूप में काम शुरू किया. उनको साफ़ बता दिया गया था कि अखबार के संस्थापक के बेटे होने का कोई विशेष लाभ नहीं होगा, अपना रास्ता खुद तय करना होगा, अपना सम्मान कमाना होगा, देशबंधु केवल एक अवसर है, उससे ज्यादा कुछ नहीं. ललित सुरजन ने वह सब काम किया जो एक नए रिपोर्टर को करना होता है और अपने महान पिता के सही अर्थों में वारिस बने. पिछले साठ साल की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की हर राजनीतिक गतिविधि को उन्होंने एक पत्रकार के रूप में देखा, अपने स्वर्गीय पिता जी को आदर्श माना और कभी भी राजनीतिक नेताओं के सामने सर नहीं झुकाया. द्वारिका प्रसाद मिश्र और रविशंकर शुक्ल उनके पिता स्व मायाराम जी सुरजन के समकालीन थे, इस लिहाज़ से उनको वह सम्मान तो दिया लेकिन उनकी राजनीति का हथियार कभी नहीं बने. अपने अखबार को किसी भी नेता के हित के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया. जब दिसंबर 1994 में मायाराम जी का स्वर्गवास हुआ तो अखबार की पूरी ज़िम्मेदारी उनके कन्धों पर आ गयी. दिल्ली, रायपुर, बिलासपुर, भोपाल, जबलपुर, सतना और सागर से छपने अखबार को मायाराम जी की मान्यताओं के हिसाब से निकालते रहे. ललित जी बहुत ही विनम्र और दृढ व्यक्ति थे. अपनी सही मान्यताओं से कभी समझौता नहीं किया. कई बार बड़ी कीमतें भी चुकाईं. अखबार चलाने में आर्थिक तंगी भी आई और अन्य परशानियाँ भी हुईं, लेकिन यह अजातशत्रु कभी झुका नहीं. उन्होंने कभी किसी से दुश्मनी नहीं की. जिन लोगों ने उनका नुकसान किया, उनको भी हमेशा माफ़ करते रहे. ललित सुरजन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कभी भी बदला लेने की भावना से काम नहीं किया .ललित जी अपने भाइयों को बहुत प्यार करते हैं. सभी भाइयों को देशबंधु के अलग-अलग संस्करणों की ज़िम्मेदारी दे दी. आजकल वानप्रस्थ जीवन जी रहे थे लेकिन लेखन में एक दिन की भी चूक नहीं हुई. कोरोना के दौर में उनको कैंसर का पता लगा, विमान और ट्रेन सेवाएं ठप थीं लेकिन उनके बच्चों ने उनको विशेष विमान से दिल्ली में लाकर इलाज शुरू करवाया. वे कैंसर से ठीक हो रहे थे. उनकी मृत्यु ब्रेन हैमरेज से हुई. कैंसर का इलाज सही चल रहा था, लेकिन काल ने उनको ब्रेन हैमरेज देकर उठा लिया.
ललित जी का जाना मेरे लिए बहुत बड़ा व्यक्तिगत नुक्सान है. उनके साथ खान मार्किट के बाहरी संस की किताब की दुकान पर जाना एक ऐसा अनुभव है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. वह मेरे लिए एक शिक्षा की यात्रा भी होती थी. जो भी किताब छपी उसको उन्होंने अवश्य पढ़ा. अभी राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब आई है, उसका इंतज़ार वे बहुत बेसब्री से कर रहे थे. उनके जन्म दिन पर बधाई सन्देश का मेसेज करने के बाद मैं उनके फोन का इंतज़ार करता रहता था कि अब फोन आने वाला है. हुआ यह था उनके असली जन्म दिन और फेसबुक पर लिखित जन्मदिन में थोडा अंतर था. अगर गलत वाले दिन मेसेज लिख दिया तो फोन करके बताते थे, शेष जी आपसे गलती हो गयी. जब किसी साल सही वाले पर मेसेज दे दिया तो कहते थे कि इस बार आपने सही मेजेस भेजा. अब यह नौबत कभी नहीं आयेगी, क्योंकि अब उनके जीवन में कराल काल ने एक पक्की तारीख लिख दी है, वह उनकी मृत्यु की तारीख है. इस मनहूस तारीख को उनका हर चाहने वाला कभी नहीं भुला पायेगा. उनके अखबार में मैं काम करता हूँ लेकिन उन्होंने यह अहसास कभी नहीं होने दिया कि मैं कर्मचारी हूँ. आज उनके जाने के बाद लगता है कि काल ने मेरा बड़ा भाई चीन लिया. आपको कभी नहीं भुला पाऊंगा ललित जी.

आवश्यकता है संवाददाताओं की

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोण्डा जिले के सभी विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर युवा व उत्साही संवाददाताओं की आवश्यकता है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : jsdwivedi68@gmail.com
जानकी शरण द्विवेदी
मोबाइल – 9452137310

कलमकारों से ..

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे :
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
E-Mail : jsdwivedi68@gmail.com

error: Content is protected !!