राम मंदिर निर्माण : नींव की खुदाई कर पत्थरों को बिछाकर बनेगा आधार

संवाददाता

अयोध्या। रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर की नींव की डिजाइन पर आखिरकार मंदिर निर्माण समिति व रामजन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने अपनी मुहर लगा दी है। आईआईटी, दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. वीएस राजू की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की कमेटी की ओर से दो सुझाव दिए गये थे। इनमें पहला पत्थरों की पाइल्स बनाने का सुझाव था। इस सुझाव को खारिज कर दिया गया है। वहीं दूसरे विकल्प को स्वीकार कर कार्यदाई संस्था एलएण्डटी को उसके अनुरूप काम शुरू करने के लिए हरी झंडी दे दी गयी है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि महाराज ने‘हिन्दुस्तान’ को फोन पर बताया कि बैठक का विषय बहुत महत्वपूर्ण था। यह विषय ट्रस्ट की ओर से गठित विशेषज्ञ कमेटी के दो सुझावों में से किसी एक सुझाव को स्वीकार करने के सम्बन्ध में था। मैराथन बैठक में सभी विशेषज्ञों ने अपने-अपने सुझावों की पुष्टि के लिए विस्तार से अपना विचार व्यक्त किया। बताया गया कि उनके विचारों को सुनने और समझने के बाद आपस में भी अलग से परामर्श किया गया। पुनः दूसरे विकल्प को स्वीकार करने का ऐलान कर दिया गया। महंत श्री गिरि ने बताया कि दूसरे विकल्प में यह बात आई है कि पहले नींव की खुदाई कराई जाए और भूमि स्टेबलाइज यानी कि निचली सतह में मिट्टी का ट्रीटमेंट करने के उपरांत उस पर पत्थरों को बिछाकर एक-एक लेयर को दबाकर ऊपर तक आकर आधार तैयार किया जाए। फिर मुख्य मंदिर का निर्माण होगा। उन्होंने बताया कि पत्थरों का आधार तैयार करने में सीमेंट व लोहे का प्रयोग किसी दशा में नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सुझाव से सम्बन्धित कार्यवाही को आगे के बारे में कार्यवाही शुरू करने के लिए कार्यदाई संस्था एलएण्डटी व टीईसी को बता दिया गया है। अब वह उसके अनुसार नई डिजाइन बनाकर काम को गति प्रदान करेंगे।

यह भी पढें : प्रतिरोधक शक्ति पर दें ध्यान, वरना हो सकते हैं परेशान

रामजन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर के रिवाइज माडल के अनुसार मुख्य मंदिर का निर्माण 57 हजार वर्ग फिट में किया जाएगा। ऐसे में मंदिर की नींव की खुदाई पूरे क्षेत्रफल में की जाएगी। इसके अलावा मुख्य स्थल पर 50 फिट गहराई तक मलबा पटा है। पुनः रेतीली जमीन है। यही कारण है कि पहले मलबे को पूरी से हटाया जाएगा। फिर बालू के सतह की भी सफाई कर चिकनी मिट्टी की सतह को स्टेबलाइज करने के उपाय किए जाएंगे और फिर पूरी सतह पर पत्थरों को बिछाने का काम होगा जिससे बड़े-बड़े झटकों के दौरान भी आधार पर कोई असर न पड़े और मंदिर की सुरक्षा हो सके। बताया गया कि पत्थरों के खंभे खड़े करने में वही समस्या थी जो कि कांकरीट की पाइलिंग में थी। खंभो को खड़ा करने के लिए मजबूत जमीन थी ही नहीं तो फिर खंभे के कभी भी हिलने का खतरा बरकरार रहता। बैठक में महंत गोविंद देव के अलावा मंदिर निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र, ट्रस्ट महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र, सेवानिवृत्त आईएएस शत्रुघ्न सिंह व दिवाकर त्रिपाठी के अलावा अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के आर्किटेक्ट स्वामी ब्रह्मबिहारी, प्रो. रमन सूरी, इं. एके मित्तल, मंदिर माडल के शिल्पकार आशीष सोमपुरा व निखिल सोमपुरा के अतिरिक्त एलएण्डटी एवं टीईसी के विशेषज्ञों के साथ दिल्ली, हैदराबाद, गोहाटी, सूरत व मुम्बई के भू-वैज्ञानिक भी शामिल थे।

यह भी पढें : 07 खाद विक्रेताओं का लाइसेंस निरस्त, नौ के निलम्बित

error: Content is protected !!